आजकल पति-पत्नी छोटी-छोटी बातों पर हुए विवाद को इतना बड़ा बना देते है कि बात तलाक तक पहुँच जाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एकतरफा तलाक कैसे लिया जाता है? इसके बारे में बताने जा रहें है। जब किसी विवाहित जोड़े में से की एक व्यक्ति तलाक लेना चाहता है और दूसरा व्यक्ति तलाक लेना नहीं चाहते है तो इस स्थिति को एकतरफा तलाक कहा जाता है।
यहाँ हम आपको बताएंगे एकतरफा Talak kaise le तलाक (Divorce) लेने के मुख्य कारण क्या है? तलाक लेने के नये नियम क्या है? How to Take One Side Divorce से जुडी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़िए –
एकतरफा तलाक कैसे लिया जाता है?
जब एक शादीशुदा रिश्ते में एक पक्ष तलाक लेना चाहता है और दूसरा पक्ष तलाक नहीं लेना चाहता है तो यह एकतरफा तलाक कहा जाता है। आप कुछ प्रमुख कारणों के आधार पर ही एकतरफा तलाक लेने के लिए आवेदन कर सकते है। यदि आप हिन्दू है तो आपको हिन्दू मैरिज एक्ट 13 के तहत दिए गए प्रमुख आधारों के अनुसार एकतरफा तलाक के लिए आवेदन कर सकते है और यदि आप मुस्लिम है तो आप मुस्लिम मैरिज एक्ट की धारा के सेक्शन 2 के तहत एकतरफा तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते है।
ऐसे बहुत से मामले है कि किसी शादी में कही पति अपनी शादी से खुश नहीं कहीं पत्नी। बहुत सी महिलाएं पतियों द्वारा प्रताड़ित की जाती है, मारी पीटी जाती है। ऐसे बहुत से पुरुष है जिनकी पत्नी दूसरे व्यक्ति से शारीरिक सम्बन्ध बनाती है और अपने पतियों को धोखा देती है, लेकिन पति पता होते हुए भी कुछ नहीं कर पाते। ऐसी परिस्थितियों में आप एक तरफा तलाक ले सकते है। जिसके बारे में हम आपको पूरी जानकारी आगे दी गई जानकारी में उपलब्ध कराने जा रहें है।
तलाक कितने प्रकार के होते है ? (Types of Divorce)
तलाक दो प्रकार के होते है। कोई भी व्यक्ति दोनों में से किसी भी तरह से तलाक ले सकते है। तलाक के प्रकार निम्न प्रकार है –
- आपसी सहमति तलाक
- एकतरफा तलाक
एकतरफा तलाक क्या है? (What is unilateral divorce?)
जब पति- पत्नी में से कोई भी एक व्यक्ति शादी के रिश्ते से खुश नहीं होता है और वह इस शादी के बंधन से मुक्त होना चाहता है तो वह तलाक लेकर अलग हो सकता है। इस प्रकार के तलाक को एकतरफा तलाक कहा जाता है। जब शादीशुदा जोड़ो के विचार न मिले तो उनके लिए तलाक लेना ही एक बेहतर ऑप्शन है। एकतरफा तलाक में एक पक्ष तो तलाक के लिए रजामंद होता है लेकिन दूसरा पक्ष रजामंद नहीं होता है। हालांकि एकतरफा तलाक में आपसी सहमति तलाक के जितना समय नहीं लगता है।
आपसी सहमति तलाक क्या होता है?
कभी-कभी ऐसे लोगो की शादी हो जाती है जो एक दूसरे के लिए नहीं बने होते है। जिनके विचार एक-दूसरे से बिलकुल विपरीत होते है। और देखते ही देखते बात एक-दूसरे को शादी के बंधन से मुक्त करने तक पहुँच जाती है। जब दोनों लाइफ पार्टनर अपनी आपसी सहमति से एक-दूसरे से अलग होना चाहते है और तलाक लेना चाहते है तो यह स्थिति आपसी सहमति तलाक कहलाता है। आपसी तलाक में दोनों पक्ष आपस में ही तय कर लेते है कि कितनी संपत्ति किसे मिलेगी और बच्चे किसके पास रहेंगे।
इन सभी बातों को दोनों पक्ष एक जगह बैठकर फैसला कर लेते है और फिर कानूनी तौर पर तलाक लेने के लिए कोर्ट में अपना तलाक का केस फ़ाइल कर देते है। आपसी सहमति से तलाक लेने में अधिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। दोनों पक्षों को आसानी से तलाक मिल जाता है।
भारत में तलाक लेने के कारण (Reasons to get Divorce in India)
भारत में 7 ऐसे मुख्य कारण है जिनके आधार पर विवाहित जोड़े तलाक की मांग करते है। तलाक लेने के इन मुख्य कारणों के विषय में हम आपको नीचे दिए गए पॉइंट्स के माध्यम से बताने जा रहें है। ये मुख्य कारण निम्न प्रकार है –
- धर्म परिवर्तन
- कुष्ठ रोग
- क्रूरता
- व्यभिचार
- परित्याग
- छूत की बिमारी वाले यौन रोग
- सन्यास
- जीवित होने की कोई खबर न होना
तलाक लेने के मुख्य कारणों का संक्षिप्त विवरण
एकतरफा तलाक आप नीचे दिए निम्न कारणों के आधार पर ले सकते है। यदि आप अपनी शादीशुदा जिंदगी में नीचे दिए गए इन कारणों का सामना कर रहे है तो आप इसके आधार पर एकतरफा तलाक के लिए अपनी अर्जी दे सकते है।
- धर्म परिवर्तन – जैसा कि आप सभी जानते है आजकल इंटरकास्ट मैरिज का चलन कितना अधिक है। लेकिन inter कास्ट मैरिज करते समय यदि दोनों पक्षों ने अपने अपने धर्म को न बदलने का फैसला किया है और अगर शादी के बाद दोनों में से कोई भी एक (पति या पत्नी) दूसरे पक्ष पर अपना धर्म अपनाने के लिए किसी प्रकार का दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन करने को कहता है तो ऐसी स्थिति में दूसरा पक्ष एकतरफा तलाक ले सकता है।
- व्यभिचार – मान लीजिये दोनों लाइफ पार्टनर पति या पत्नी में से की भी एक अपने लाइफ पार्टनर को धोखा दे रहा है और किसी तीसरे व्यक्ति से शारीरिक सम्बन्ध बनाता है और वह आपको छोड़ना नहीं चाहता है तो ऐसी स्थिति में दूसरा लाइफ पार्टनर एकतरफा तलाक ले सकते है। लेकिन इसके लिए आपको कोर्ट में उसके खिलाफ सबूत और गवाह पेश करने होंगे।
- गंभीर शारीरिक रोग – अगर किसी के लाइफ पार्टनर को कोई भी गंभीर शारीरिक रोग है जैसे – कुष्ठ रोग, एड्स, आदि तो इस गंभीर शारीरिक बिमारी के आधार पर आप अपने लाइफ पार्टनर से एकतरफा तलाक ले सकते है। लेकिन इसके लिए आपको कोर्ट में ऐसे पुख्ता सबूत पेश करने होंगे जिससे आपके लाइफ पार्टनर को गंभीर शारीरिक बिमारी है इसकी पुष्टि की जा सके।
- सन्यास – मान लीजिए आपकी शादी को कुछ ही साल हुए है या आपकी शादी को काफी साल हो गए है और अचानक आपका लाइफ पार्टनर सन्यास ले लें और आपको अकेला छोड़कर चला जाये तो ऐसी स्थिति में आप एकतरफा तलाक ले सकते है।
- जीवित होने की कोई खबर न होना – यदि किसी की पत्नी या पति 7 साल से गुमशुदा है और उसकी जीवित होने की कोई खबर नहीं है तो दूसरा व्यक्ति इस स्थिति में इस बात के आधार पर एकतरफा तलाक ले सकता है।
- क्रूरता – यदि किसी का पति या पत्नी दोनों में से कोई एक अपने लाइफ पार्टनर के साथ कोई किसी प्रकार की क्रूरता जैसे- प्रताड़ित करना, मारना, पीटना, आदि ऐसे काम करता है तो ऐसी स्थिति में आप एकतरफा तलाक ले सकते है।
तलाक के नये नियम 2024 (New Divorce Rules)
आजकल शादीशुदा लोगों में झगडे इतने बढ़ जाते है कि बात तलाक तक पहुँच जाती है। ऐसी स्थिति में तलाक लेना ही बेहतर होता है ताकि दोनों पक्ष अपनी जिंदगी अलग-अलग और सुख- शान्ति से बिता सके। तलाक लेने के अलग-अलग धर्मों में अपनी व्यवस्था है। हालांकि तलाक लेने के लिए कई प्रमुख अधिनियम बनाये गए है। इन अधिनियमों के अधीन आप तलाक के लिए आवेदन कर सकते है। जानिए क्या है ये अधिनियम –
- हिंदू मैरिज एक्ट 1955
- मुस्लिम पर्सनल लॉ
- इंडियन डिवोर्स एक्ट
- स्पेशल मैरिज एक्ट 1954
- पारसी मैरिज एक्ट 1936
हालांकि यह तो आप सभी जानते ही होंगे कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया है। दोस्तों, आपकी जानकारी के लिए बता दें मुस्लिम मैरिज एक्ट 1939 के अनुसार कोई भी मुस्लिम व्यक्ति जितनी बार चाहे विवाह कर सकता है लेकिन वह 4 से अधिक पत्नी नहीं रख सकता है। अगर महिलाओं की बात की जाए तो अगर की महिला पहले पति के होते हुए दूसरा विवाह करना चाहे तो उसे पहले अपने पहले वाले पति को तलाक देना होगा।
एकतरफा तलाक लेने का प्रोसेस क्या है ?
यदि आप एकतरफा तलाक लेना चाहते है और आपको नहीं पता की talak kaise le तो आप नीचे दी गयी जानकारी के आधार पर आसानी से एकतरफा तलाक ले सकते है। तलाक लेने की प्रक्रिया यहाँ विस्तार रूप से दी गयी है।
- सबसे पहले उम्मीदवार को वकील द्वारा तलाक के कागजात तैयार करवाकर फीस के साथ फैमिली कोर्ट में पेश करना होगा।
- उसके बाद कोर्ट द्वारा दूसरे पक्ष को एक नोटिस भेजना होगा।
- इसके बाद नोटिस में जो भी तारीख दी गयी उस दिन दोनों पक्षों को कोर्ट में हाजिर होना होगा।
- यदि दोनों में से कोई एक पक्ष निर्धारित तिथि को कोर्ट में हाजिर नहीं होता है तो कागजातों के आधार पर कोर्ट द्वारा फैसला सुना दिया जाता है और यदि दोनों पक्ष कोर्ट में हाजिर होते है तो मामला कोर्ट में ही सुलझाने का प्रयास किया जाता है।
- अगर फैमिली कोर्ट में आपका तलाक नहीं होता है तो आप कोर्ट में याचिका दायर कर सकते है।
- उसके बाद दोनों पक्षों के तीन महीने के लिखित बयान दर्ज किये जाते है।
- इसके बाद कोर्ट दोनों पक्षों की सुनवाई करता है और तलाक के सभी दस्तावेजों और पेश किये गए सबूतों की जांच करता है और उसके बाद कोर्ट द्वारा अपना फैसला सुना दिया जाता है।
- हालांकि कभी कभी तलाक मिलने में काफी लम्बा समय लग जाता है।
- इस प्रकार आप एकतरफा तलाक ले सकते है।
How To Take One Side Divorce से जुड़े कुछ प्रश्न और उत्तर
भारत में तलाक लेने के 7 मुख्य कारण कौन से है?
हालांकि आजकल पति-पत्नी छोटी-छोटी बातों पर तलाक लेने के लिए तैयार हो जाते है। लेकिन भारत में तलाक लेने के 7 मुख्य कारण है जैसे – क्रूरता
व्यभिचार
परित्याग
छूत की बिमारी वाले यौन रोग
सन्यास
धर्म परिवर्तन
कुष्ठ रोग
जीवित होने की कोई खबर न होना
सबसे अधिक तलाक किस देश में होते है?
सबसे अधिक तलाक रूस में होते है।
एकतरफा तलाक क्या है?
अगर शादीशुदा जोड़े में से कोई एक पक्ष अपने लाइफ पार्टनर से खुश नहीं है या उनके विचार नहीं मिलते है तो ऐसी स्थिति में दूसरा पक्ष एकतरफा तलाक ले सकता है। इसके लिए आपको कुछ सबूत कोर्ट में पेश करने होते है। कई बार ऐसा होता है कि एक पक्ष तलाक लेना चाहता है लेकिन दूसरा पक्ष तलाक लेने के लिए रजामंद नहीं होता है।
किन अधिनियमों के तहत तलाक लिया जा सकता है?
तलाक लेने के लिए अलग-अलग धर्मो की अपनी-अपनी व्यवस्था है। कुछ प्रमुख अधिनियमों के तहत तलाक लिया जा सकता है। ये अधिनियम निम्न प्रकार है –
हिंदू मैरिज एक्ट 1955
मुस्लिम पर्सनल लॉ
इंडियन डिवोर्स एक्ट
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954
पारसी मैरिज एक्ट 1936
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