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Vivad Se Vishwas Scheme: 1 अक्टूबर से शुरू होने जा रही मोदी सरकार की ये योजना, जानें सबकुछ

'विवाद से विश्वास' स्कीम 1 अक्टूबर 2024 से लागू होगी, जिससे टैक्स विवादों का तेजी से निपटारा होगा। इस योजना से 2.7 करोड़ मामलों का समाधान और 35 लाख करोड़ रुपये की टैक्स मांग पूरी हो सकती है।

anjali
By GHS News
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Vivad Se Vishwas Scheme: 1 अक्टूबर से शुरू होने जा रही मोदी सरकार की ये योजना, जानें सबकुछ

विवाद से विश्वास स्कीम (Vivad Se Vishwas Scheme), जिसे केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट में पेश किया था, 1 अक्टूबर 2024 से प्रभावी हो जाएगी। इस योजना का उद्देश्य लंबित इनकम टैक्स विवादों का तेजी से निपटारा करना है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस योजना के तहत नियमों की घोषणा कर दी है, जिससे टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स के लंबित विवादों का समाधान करने का आसान मौका मिलेगा।

टैक्सपेयर्स को होगा सबसे ज्यादा फायदा

यह योजना खासकर उन टैक्सपेयर्स के लिए है जो अपने टैक्स मामलों में विवादों का सामना कर रहे हैं। जो टैक्सपेयर्स 31 दिसंबर 2024 तक इस योजना का लाभ उठाएंगे, उन्हें अधिकतम सेटलमेंट अमाउंट मिलेगा, जबकि इसके बाद आवेदन करने वालों को कम सेटलमेंट अमाउंट दिया जाएगा।

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सरकार की उम्मीद

सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से 2.7 करोड़ डायरेक्ट टैक्स मामलों का समाधान हो सकेगा, जिनकी कुल मांग करीब 35 लाख करोड़ रुपये है। इस स्कीम के तहत आयकर विभाग ने चार प्रकार के फॉर्म जारी किए हैं, जिनसे टैक्सपेयर्स अपने टैक्स विवादों का निपटान कर सकते हैं।

ये चार फॉर्म होंगे उपयोगी

  1. फॉर्म 1: इसमें डिक्लेरेशन और अंडरटेकिंग की जानकारी दी जाएगी।
  2. फॉर्म 2: यह प्रमाणपत्र जारी करने के लिए अथॉरिटी द्वारा उपयोग किया जाएगा।
  3. फॉर्म 3: इसमें टैक्सपेयर्स द्वारा पेमेंट की जानकारी दी जाएगी।
  4. फॉर्म 4: टैक्स एरियर के फुल एंड फाइनल सेटलमेंट की जानकारी दी जाएगी।

फॉर्म 1 और 3 होंगे सबसे जरूरी

फॉर्म 1 में हर इनकम टैक्स विवाद के लिए अलग-अलग विवरण देना होगा, और फॉर्म 3 में पेमेंट की जानकारी शेयर करनी होगी। ये फॉर्म आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे और टैक्सपेयर्स इन्हें इलेक्ट्रॉनिकली जमा कर सकेंगे।

डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स क्या है?

डायरेक्ट टैक्स के तहत इनकम टैक्स आता है, जिसमें लोगों को उनकी आय के अनुसार टैक्स देना पड़ता है। वहीं, इनडायरेक्ट टैक्स के अंतर्गत जीएसटी आता है, जो वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है।

यह स्कीम टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स विवादों से मुक्ति पाने का सुनहरा अवसर है, जिससे वे बिना किसी झंझट के अपने टैक्स मामलों का निपटारा कर सकते हैं।

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